*बहराइच के विजय उत्सव लान में कवियों का लगा जमावड़ा।*

*बहराइच के विजय उत्सव लान में कवियों का लगा जमावड़ा।*

*कवियों की सजी महफ़िल,बही गीत और संगीत की बयार।*

आचार्य स्व०श्री दुर्गा प्रसाद त्रिपाठी की तृतीय पुण्य तिथि विजय उत्सव लान में बड़े ही धूमधाम से मनाई गई,कार्यक्रम के संयोजक कवि लक्ष्मीकांत त्रिपाठी’मृदुल’और आयोजक जय कृष्ण त्रिपाठी,रमाकांत त्रिपाठी,चन्द्रकेश त्रिपाठी रहे। *विजय उत्सव लान में सजी कवियों की महफ़िल,बही गीत और संगीत की बयार।*

*एक से बढ़कर एक,कविताओ को सुनकर भाव विभोर हुए दर्शक।*

*प्रतिमा मिश्रा बहराइच ने पढ़ा*

वेद उपनिषद गर्न्थो से यदि दूरी है।

सुनो कुमारों विद्या अभी अधूरी है।

यदि हल पाना चाहो प्रश्नों से पहले।

तो गीता को पढ़ना बहुत जरूरी है *ज्योतिमा शुक्ला(रश्मि)ने पढ़ा*

खोजती दिन रात तुमको है कहा अपना पता दे,राधिका कान्हा से बोली,प्रेम कितना है जता दे।।

*राम करन सैलानी ने पढ़ा*

बाती थी,तेल भी था,सैलानी चिराग में,पर बदनीयत हवाओं ने जलने नही दिया।। *धर्मराज उपाध्याय(कोतवाल)कवि/सायर ने पढ़ा।*

नवम्बर जस मजा जनवरी मा न पइहव,गद्दा जस मजा दरी मा न पइहव,ठान्स के पिस्टल बुलेट से घुमिहौ,दरोगा जस मजा मास्टरी मा न पइहव।।

गुरु कि महिमा जो न जानय ऊ बहुत बड़ा नादान है,देश मे विदेश में गुरु की ही शान है,लाठी,पिस्टल,बुलट,और सितारा।

ई सब लीहें जवउँन घूमित हैं हम।

ई सब हमारे गुरुवन केअहसान है।।

*शिवाकांत मिश्र विद्रोही ने पढ़ा*

राम के विना यह संसार असार है मित्र—–वन,बाग,खेतन म राम है।

*राधा कृष्ण शुक्ल’पथिक” ने पढ़ा*

उतरे उतरे चेहरे क्यों है,सहमी क्यों है छाया में,कंचन को भी देनी पड़ती है,युग की अग्नि परीक्षा में।।

*प्रदीप बहराइची ने पढ़ा*

जन मानस का है बदला रुख देख रहा हूं।सिर्फ कल्पना भी अब सम्मुख देख रहा हूँ।भव्य राम मंदिर की अद्भुद कला निखरकर।कलयुग में त्रेता युग का सुख देख रहा हूँ।।

*देशराज सिंह आजाद ने पढ़ा*

राष्ट्र के रक्षार्थ हमको जागना होगा।

मखमली विस्तर,सुखों को त्यागना होगा।।

*डॉ अशोक गुलशन ने पढ़ा*

मेरे दिल की धङकन थे वो थे मेरी जान पिता,हर विपदा के संहारक थे,मेरी मुस्कान पिता।।

*वीरेश पाण्डेय ने पढ़ा*

उच्च शिखर तक मात्र भूमि का माथा सजा सवारा हो,ऐसी छमताओ से सिंचित,यह नव वर्ष हमारा हो।।

*भाल चन्द्र त्रिपाठी’आजमगढ़िया ने पढ़ा* हर किसी को भरम है यही,हम ही सब संभाले हुए है।

*राम किशोर तिवारी ‘किशोर’ने पढ़ा* तुम स्वयं अपना दीपक जलाओ सखे,रोशनी खुद तुम्हे देखने आएगी।।

*लक्ष्मीकांत त्रिपाठी ‘मृदुल’*

रास्ट्रोतस्व सब मिल मनाओ सखे।

राम को गर्भ गृह में बैठाओ सखे।

सभी भारतीयों की आशाएं पूरी हुई 22 जनवरी को दीपक जलाओ सखे।।

उपरोक्त गीत,संगीत,हास्य,श्रंगार,बीर रस,की रचनाओं को सुनकर दर्शक बार बार भाव विभोर होते रहे।

इस अवसर पर खण्ड शिक्षा अधिकारी तजवापुर अखिलेश कुमार वर्मा,उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ से जिला अध्यक्ष आनंद कुमार पाठक,जनपदीय मंत्री विजय कुमार उपाध्याय, जिला मीडिया प्रभारी सुरेश कुमार यादव,भुवनेश्वर पाठक,जय सुख लाल मिश्र,उदय शंकर त्रिपाठी,परमात्मा दीन त्रिपाठी(राजश्व निरीक्षक)राजेश पाण्डेय,मृत्युंजय शुक्ल,पुण्डरीक पांडेय,चन्द्र शेखर नागवंशी,दिलीप त्रिपाठी,ब्रह्मेंद्र शुक्ल,विद्या विलास पाठक,भानु प्रताप मिश्र,ओंकार यादव,सुनील मिश्र,सतीश पांडेय,प्रदुम्न पाण्डेय, संतोष गुप्ता,प्रभात बाजपेयी,संतोष उपाध्याय,गुड्डू खान,गणेश मिश्र,आनंद उपाध्याय,मुकुंद शुक्ल,सुबोध पांडेय,सहित सैकड़ों कविता एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

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